कलम से _ _ _ _
दिल को लग गया है एक अजीब रोग,
ला इलाज हो गया है कहते कुछ लोग,
इल्म तुम्हें है या नहीं जानता मै नहीं,
हो सके तो आ जाना मिलने तनहाई मे कहीं।
मिल बैठ दो एक बात करेगें,
कुछ अपनी कहेंगे कुछ उनकी सुनेंगे,
वक्त यूं ही गुजर जाएगा,
ले जाना है उसे जब ले जाऐगा।
चिंता करना छोड दे,
जो होना है अब हो जाने दे।
//surendrapal singh//
07182014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
दिल को लग गया है एक अजीब रोग,
ला इलाज हो गया है कहते कुछ लोग,
इल्म तुम्हें है या नहीं जानता मै नहीं,
हो सके तो आ जाना मिलने तनहाई मे कहीं।
मिल बैठ दो एक बात करेगें,
कुछ अपनी कहेंगे कुछ उनकी सुनेंगे,
वक्त यूं ही गुजर जाएगा,
ले जाना है उसे जब ले जाऐगा।
चिंता करना छोड दे,
जो होना है अब हो जाने दे।
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