Friday, July 18, 2014

कलम से _ _ _ _
आज के जमाने का यह नया कन्सेप्ट है, 
मर्दों को पहले रिझाओ फिर तरसाओ,
पास आने की कोशिश करे कोई तो आने दो,
छू लेना चाहे पहले थोडा दूर करो फिर छूने दो,
अगर थोडा और बढना चाहे तो बढ जाने दो,
पास बैठ नजरों से नजर मिलाना चाहे मिला लेने दो,
अगर जुल्फों से तुम्हारी खेलना चाहे तो खेल लेने दो,
कुछ और करना चाहे तो वो भी कर लेने दो,
गालों पर वह लव करना चाहे तो कर लेने दो,
बस बस और नहीं आगे और नही बढने दो,
नीयत पहचानो इनसां को जानो आगे तब बढने दो,
लोग बहुतेरे तुम्हें मिल जाएंगे आगे पीछे घूमेंगे,
नजर तुम्हारी शातिर होगी तो वो तुमको जानेंगे,

काम 'कामवासना' से ग्रसित ठीक नहीं होता है
प्यार जहां सच्चा होता है दिल में खोट नहीं होता है।


अच्छा तो होगा दूर रहो इस प्यार व्यार के चक्कर से,
लाइफ पहले बनाओ दूर रहो प्यार के इस मच्छर से।

सुदंर तुम हो मन और धन दोनों से परिपूर्ण,  
मनमाफिक वर मिले तुमको करे जो आशाएं पूरी पूर्ण।

यही मनोकामना है मेरी सदैव प्रसन्न रहो तुम,
अपने जीवन में फलोफूलो खुशी खुशी रहो तुम।

//surendrapal singh//

07192014

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