Friday, July 18, 2014


कलम से_____

जैसलमेर
'पधारो महारे देस'
सोने के महल मरु में सोना
बिखरा पडा है सोना ही सोना
चलो चलें जैसलमेर ले आएं 'सोना'
आता क्यों है 'सोना' तुझे इतना रोना।

बालीवुड का फेवराइट बना है
शूटिंग का प्रोग्राम हर रोज लगा है
कभी रंगरसिया तो कभी मनबसिया
दिन तो तपता है सबको चुभता है
शाम होते ही आते हैं मोहन ब्रजबसिया
राधे राधे कीर्तन करती रास मंडलियां।

चलो चलते हैं जैसलमेर ले आएं 'सोना'


//surendrapal singh//

07192014

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