Wednesday, September 10, 2014

तुझे देखा कर

कलम से_____

तुझे देख कर
मन उदास हो गया
हाय यह क्या हो गया
अभी कुछ रोज़ पहले ही तो मिले थे
अच्छे खासी तुम हरे थे !

अचानक यह क्यों हो गया
क्या तुम्हारा ही मन बुझ गया
जीवन जीने की चाह क्या खत्म हुई
या कोई दुश्मन दुश्मनी निभा गया !!

बताओ तो क्या हुआ
क्या कहूँ मैं किसी ने भी मेरा ध्यान नहीं किया
बूढ़ा समझ बस सबने मुझे अपने हाल पर छोड़ दिया !!

हाल सबका यही होता है
मेरा भी वही हुआ
मैं अब किसी के काम आऊँगा
जाते जाते भी किसी की मैय्यत में मदद कर जाऊँगा
मुझसे जो बन पड़ा मैने वह किया
रुख़सती का आलम है कहता हूँ मैं अब अलविदा !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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