Sunday, September 21, 2014

आओ बैठो जराजरा सामने ।

कलम से____

आओ बैठो जरा सामने
देखूँ तो वक्त ने क्या असर किया है
चेहरे पर तेरे नूर कैसे छा गया है
मेरी नज़रों में जो भरमाया हुआ है
ज़माने के लिए बहुत बदल गए होगे तुम
मेरे लिए वैसे ही हो जैसे आए थे तुम
मेरे हाथों में भले झुर्रियां पड़ गईं हों
लुनाई तुम्हारी चेहरे से न कम हुई है
पहले से ज्यादा और हसीन हो गई हो
बस देखा करो अपने को मेरी निगाह से तुम
चितां न किया करो फिजूल में
चलेंगे एक दिन दिखा देगें हम दोनों
कहीं निगाह तो बदल नहीं गई है
लगा लेगें चश्मा जो लगेगा
बढ़ती उम्र में आखिर कुछ तो होगा
गाज़ उसकी गिर गई होगी निगाह पर
चल चलें चलते हैं डाक्टर के पास हम !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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