Monday, September 8, 2014

हर सांस में तू है बसा ।

कलम से_____

हर सांस में तू है बसा
तुझे कैसे ओढूँ कैसे और पाऊँ, समझ न पाऊँ
अनजान हूँ जीवन की इस ड़गर में
राह भटक गर जाऊँ
समझाने आ जाना
सही मार्ग दिखा जाना
प्रभु हर कोने पर खड़े दिख भर जाना !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह//

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