Monday, October 20, 2014

बूझो तो बताऊँगा।





कलम से____

बूछो तो बताऊँगा,
मैं
किसके लिए
लिखता हूँ
है कौन मेरे
ख्यालों में जिसके
खोया रहता हूँ....

 कभी शाख से
जुदा हुए
तन्हाई में गिरे
पत्ते पर लिखे दिल के
जज्बातों को उकेरा करता हूँ
शबनम सी पड़ी बूंदो के
अहसासों
को पढ़ कर
उनकी बात करता हूँ
बिछड़ने की हर आह की
दर्द की दास्तां बयां करता हूँ
कुछ अपनी कुछ आपकी
मैं सबकी बात कहता हूँ
   बस मैं आप सब के
दिल के करीब रहता हूँ।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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