Tuesday, October 7, 2014

सुबह पार्क में जिन्दगी आती है।

कलम से _____

सुबह सुबह पार्क
में जिन्दगी आती है
अपना रंग दिखाती है
जिनके ज्ञान चच्छु हैं खुले
पास उनके बैठ बतियाती है !!

सरदारनी और सरदार जी से
मुलाकात क्या हुई
सुबह आज की कामयाब हो गई !!

रहते यहीं पास में हैं
खाने पीने वाले लोग हैं
चितांओं से
दूर नहीं, दूर बहुत रहते हैं !!

शाम को एक पैग
पटियाला पीते हैं
सुबह सुबह वर्जिश
सैर करने को निकल जाते हैं !!

खरीदा था, एक अदद घर
दस साल पहले
करोंडों का हो गया है
रैनबसेरा तो है ही
किराया अलग दे रहा है
खाना पीना चलता है
लक्कड का है, कारोबार
जो ठीकठाक चलता है
जीवन ऐश से कटता है !!

उधार है उसका
चुका रहे हैं
पूरा होगा जिस दिन
चल देंगे
न कुछ लेकर आए थे औ' न लेकर जाएंगे !!

फलस्फा उनका
समझ आ गया
जियो और जीने दो
दो दिन की है जिन्दंगी
उत्सव मना कर जियो !!

कहने को बहुत मिल जाएगें
कुछ हसंते कुछ रोते
कम ही लोग ऐसे नज़र आएगें
जीवन को जिन्दादिली की
मिसाल बना जा जाएगें !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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