कलम से____
न चाहिए मुझे एक मुठ्ठी आसमान
औ' न चाहिए सारा जहाँ
बस चाहत है इतनी सी
मिले दो गज़ ज़मीन
अपने मुल्क में
अपनों से घिरी हुई.......
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
न चाहिए मुझे एक मुठ्ठी आसमान
औ' न चाहिए सारा जहाँ
बस चाहत है इतनी सी
मिले दो गज़ ज़मीन
अपने मुल्क में
अपनों से घिरी हुई.......
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