कलम से____
शाम घिर आई है
रौशनी सूरज की शरमाई है
बदलियों का जमघट है
आना है तो आ जाना
दिन डूबने से पहले ही
घर अपने तुम
लौट आना !!!
दिल्ली की यह शाम
आज ही की है।
//surendrapalsingh//
शाम घिर आई है
रौशनी सूरज की शरमाई है
बदलियों का जमघट है
आना है तो आ जाना
दिन डूबने से पहले ही
घर अपने तुम
लौट आना !!!
दिल्ली की यह शाम
आज ही की है।
//surendrapalsingh//
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