Monday, September 1, 2014

शाम घिर आई है ।

कलम से____

शाम घिर आई है
रौशनी सूरज की शरमाई है
बदलियों का जमघट है
आना है तो आ जाना
दिन डूबने से पहले ही
घर अपने तुम
लौट आना !!!

दिल्ली की यह शाम
आज ही की है।

//surendrapalsingh//

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