कलम से____
घना जंगल
सुनसान नीरव
सनसनाहट करती पवन
चिड़ियों का चहचहाना
झरने का कलरव
हरियाली ही हरियाली
छलनी सी छन छन कर
धरती पर सूरज की रौशनी
मन की पुकार
कहीं आसपास तुम हो
हर श्वास में
हृदय की धड़कन
साफ़ सुनाई पड़ती है
अहसास दिलाती है
दूर रह कर भी
तुम हमेशा साथ हो।
पृक्रति के यह नज़ारे
दूर नहीं होते हैं
बस हम ही दूर बहुत रहते हैं
निकल पड़े घर से
यह सब दिल के करीब होते हैं।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
घना जंगल
सुनसान नीरव
सनसनाहट करती पवन
चिड़ियों का चहचहाना
झरने का कलरव
हरियाली ही हरियाली
छलनी सी छन छन कर
धरती पर सूरज की रौशनी
मन की पुकार
कहीं आसपास तुम हो
हर श्वास में
हृदय की धड़कन
साफ़ सुनाई पड़ती है
अहसास दिलाती है
दूर रह कर भी
तुम हमेशा साथ हो।
पृक्रति के यह नज़ारे
दूर नहीं होते हैं
बस हम ही दूर बहुत रहते हैं
निकल पड़े घर से
यह सब दिल के करीब होते हैं।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment