कलम से____
सुबह से ही
आ जाते थे
चाहने वाले
एक दो कागा
दो एक टिटहरी
और एक मोर
कुछ और भी पुराने यार दोस्त
महफिल सजी रहती थी
अखबार की खबर
पर चाय ठंडी होती रहती थी।
अब कोई नहीं आता
खाली कुर्सी देख
लौट जाते हैं........
//सुरेन्द्रपालसिंह//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
सुबह से ही
आ जाते थे
चाहने वाले
एक दो कागा
दो एक टिटहरी
और एक मोर
कुछ और भी पुराने यार दोस्त
महफिल सजी रहती थी
अखबार की खबर
पर चाय ठंडी होती रहती थी।
अब कोई नहीं आता
खाली कुर्सी देख
लौट जाते हैं........
//सुरेन्द्रपालसिंह//
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