Tuesday, September 9, 2014

कुछ कर्ज रहने भी दे अगले जन्म के लिए।

कलम से____

कुछ कर्ज रहने भी दे अगले जन्म के लिए।

लेकर आए हो तुम मुछे इस जहान में
अहसान बहुत किया नाम जो अपना दिया है
दे जाऊँगा सब कुछ जो तूने मुझे दिया है
कुछ कर्ज रहने भी दे अगले जन्म के लिए।

मैंने जानता न था प्यार होता ही क्या है
तुमसे मिल के जाना दिल धडकता क्यों है
लेकर न जाऊँगा जो मुझे तूने दिया है
कुछ कर्ज रहने भी दे अगले जन्म के लिए।

मेरे घर में खुशियों की बारात आई है
तू जबसे आया है बहार ही बहार छाई है
देकर जाऊँगा मुझे थोडा बहुत जो मिला है
कुछ कर्ज रहने भी दे अगले जन्म के लिए।

जाने का दिन जब मेरा करीब बहुत आएगा
सीने से लगा के तेरे सारे गम मैं मागँ लूगां
सलामत रखे खुदा से बस यही दुआ कँरूगा
कुछ कर्ज रहने भी दे अगले जन्म के लिए।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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