कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Saturday, September 6, 2014
चलते चलते मुसाफिर दोस्त बन गए
कलम से_____
चलते चलते मुसाफिर दोस्त बन गए
पता ही न चला मोहब्बत कब हो गई !!!!!
//सुरेन्द्रपालसिंह//
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