कलम से____
गांव जाने को
मन बहुत कर रहा
धान है खड़ा खेत पका
इतंजार कर रहा !
मौसम भी सुहाना हो चला
सुन उसकी पुकार
मैं, अपने गांव चला !
रात जोहती है
राह मेरी
बाहर आगंन में
चारपाई है पड़ी
सोने से पहले
कुहू पूछती है
दादा तुम कहते थे
चलेगें गांव
अबके वहाँ बाबा मिलेंगे
हाँ, देख आसमां की ओर
हैं वहाँ बाबा तेरे
दूर बैठे चमक रहे हैं
हसँते हुए कह रहे हैं
बेटी आज घर आई है
रौनक देखो कितनी छाई है
बुढ़िया दादी चादँ में बैठ
चरखे पर सपने बुन रही है
आशीष तुम्हें दे रही है
सपने में तुम आओ
सदा खुश रहो
रात हो गई बहुत है
अब तुम सो जाओ
जीवन में आगे बढ़ती ही जाओ
ऐसा कुछ वो कह रहीं है !
कहानी सुनते सुनते
कुहू सो जाती है
माँ, मुझे आ कानों में
कह जाती है
आ जाया करो
तबीयत हम सबकी
बहल जाती है !
चार पुश्त का मिलन देख
आखँ चादँ की भर आती
आगंन की तुलसी के पत्ते पर
सुबह सुबह एक बूँद
अश्रु की दिख जाती .........
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
गांव जाने को
मन बहुत कर रहा
धान है खड़ा खेत पका
इतंजार कर रहा !
मौसम भी सुहाना हो चला
सुन उसकी पुकार
मैं, अपने गांव चला !
रात जोहती है
राह मेरी
बाहर आगंन में
चारपाई है पड़ी
सोने से पहले
कुहू पूछती है
दादा तुम कहते थे
चलेगें गांव
अबके वहाँ बाबा मिलेंगे
हाँ, देख आसमां की ओर
हैं वहाँ बाबा तेरे
दूर बैठे चमक रहे हैं
हसँते हुए कह रहे हैं
बेटी आज घर आई है
रौनक देखो कितनी छाई है
बुढ़िया दादी चादँ में बैठ
चरखे पर सपने बुन रही है
आशीष तुम्हें दे रही है
सपने में तुम आओ
सदा खुश रहो
रात हो गई बहुत है
अब तुम सो जाओ
जीवन में आगे बढ़ती ही जाओ
ऐसा कुछ वो कह रहीं है !
कहानी सुनते सुनते
कुहू सो जाती है
माँ, मुझे आ कानों में
कह जाती है
आ जाया करो
तबीयत हम सबकी
बहल जाती है !
चार पुश्त का मिलन देख
आखँ चादँ की भर आती
आगंन की तुलसी के पत्ते पर
सुबह सुबह एक बूँद
अश्रु की दिख जाती .........
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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