कलम से____
क्यों टपक गए
आखँ से यह दो बूँद गरम गरम आसूँ
कहता रहा न निकलना
निकलते ही रहे आसूँ।
बस अपना चलता कहाँ है
जब चाहते हैं
निकल पड़ते है आसूँ।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
क्यों टपक गए
आखँ से यह दो बूँद गरम गरम आसूँ
कहता रहा न निकलना
निकलते ही रहे आसूँ।
बस अपना चलता कहाँ है
जब चाहते हैं
निकल पड़ते है आसूँ।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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