कलम से ____
It's my tribute to a Sr. Citizen's of Kaushambi, Ghaziabad on this Senior Citizens Day.
सर, आपको पता है
वो साहब हैं
सबसे बुजुर्ग हैं
सुबह सुबह जो पार्क
सैर को आते हैं
अपने ज़माने के
नामी गिरामी जज़ रहे हैं
न जाने कितने लटक गए
न जाने कितने छूट गए
सख्त इन्सान बहुत रहे हैं
पर भीतर से फूल से कोमल हैं।
मैं, कौतूहल वश पूछ बैठा
कितनी उम्र होगी
पार्क का अटेन्डेन्ट बोला
नब्बे के आसपास।
मैंने मन ही मन शीष नवाया
सुन्दर काया देख मन भरमाया
स्वस्थ मन और शरीर रहे
जीवन को चार चाँद लगे
भगवन का आशीष मिले
कान्ति चेहरे पर बनी रहे
शान्ति जीवन में रहे।
देख अच्छा लगता है
कुछ का जीवन ऐसे चलता है
निश्चय किया मिलूँगा एक दिन
फिर पूछूँगा
जीवन जीने के दो एक नियम।
मिलने पर कहने लगे
कर्म प्रधान जीवन रहा
आलस कभी नहीं किया
जो किया बस ठीक किया
कल क्या होगा?
विचार इस पर कभी नहीं किया
बस जीवन यूँ ही कट गया।
आज भी बस ऐसे ही रहता हूँ
कल का भी यही इरादा है
बाकी सब उसकी मर्जी है
अब क्या इस जग से लेना है?
(कौशांबी सरकारी सेवानिवृत अफसरों के लिए स्वर्ग सा है। हर दिन मुझे सीखने को कुछ न कुछ नया मिलता है। सुबह सुबह पार्क में सैर को आना इसलिए अच्छा लगता है।)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
It's my tribute to a Sr. Citizen's of Kaushambi, Ghaziabad on this Senior Citizens Day.
सर, आपको पता है
वो साहब हैं
सबसे बुजुर्ग हैं
सुबह सुबह जो पार्क
सैर को आते हैं
अपने ज़माने के
नामी गिरामी जज़ रहे हैं
न जाने कितने लटक गए
न जाने कितने छूट गए
सख्त इन्सान बहुत रहे हैं
पर भीतर से फूल से कोमल हैं।
मैं, कौतूहल वश पूछ बैठा
कितनी उम्र होगी
पार्क का अटेन्डेन्ट बोला
नब्बे के आसपास।
मैंने मन ही मन शीष नवाया
सुन्दर काया देख मन भरमाया
स्वस्थ मन और शरीर रहे
जीवन को चार चाँद लगे
भगवन का आशीष मिले
कान्ति चेहरे पर बनी रहे
शान्ति जीवन में रहे।
देख अच्छा लगता है
कुछ का जीवन ऐसे चलता है
निश्चय किया मिलूँगा एक दिन
फिर पूछूँगा
जीवन जीने के दो एक नियम।
मिलने पर कहने लगे
कर्म प्रधान जीवन रहा
आलस कभी नहीं किया
जो किया बस ठीक किया
कल क्या होगा?
विचार इस पर कभी नहीं किया
बस जीवन यूँ ही कट गया।
आज भी बस ऐसे ही रहता हूँ
कल का भी यही इरादा है
बाकी सब उसकी मर्जी है
अब क्या इस जग से लेना है?
(कौशांबी सरकारी सेवानिवृत अफसरों के लिए स्वर्ग सा है। हर दिन मुझे सीखने को कुछ न कुछ नया मिलता है। सुबह सुबह पार्क में सैर को आना इसलिए अच्छा लगता है।)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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