कलम से____
इलाहाबाद भी स्मार्ट हो गया
काफीहाउस कहीं खो गया
सिविल लाइंस भी न जाने कहाँ चला गई
मधुशाला खोजने से मी नहीं है मिल रही
रिक्शे वाला बीच में छोड़ चला गया
हरी नमकीन की दुकान है ही नहीं
नेतराम की कचौडी अब मिलती नहीं
सुलाखी की बालूशाही है कहाँ
निरंजन में "हम दोनों" मिले थे कभी
जीरो रोड न जाने कहाँ गई
आनंद भवन के पास ही था स्वराज भवन
अल्फ्रेड पार्क भी मिलता नहीं
स्ट्रेची ब्रिज से ट्रेन अब जाती नहीं
हाइकोर्ट की बिल्डिंग भी दिखती नहीं
कहाँ जाऊँ मैं, मुझे कुछ अब पुराना मिलता नहीं ।
गंगा यमुना तो दिखी
सरस्वती फिर भी नहीं मिली
संगम हाँ वैसा ही है
हनुमान जी लेटे हुए मिले
पंडा पुजारी कुम्भ के मेले में दिखे।
सुमित्रा नंदन पंत, महादेवी वर्मा, हरिवंशराय बच्चन, फिराक साहब सब आकर चले गए
घर उनको अपने नहीं मिले
कह गए सब, अब न आएगें
यहाँ आएगें तो खो जाएगें
डर गए हैं बहुत सब, बुलाओगे
तो भी न वो अब आएगें।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
इलाहाबाद भी स्मार्ट हो गया
काफीहाउस कहीं खो गया
सिविल लाइंस भी न जाने कहाँ चला गई
मधुशाला खोजने से मी नहीं है मिल रही
रिक्शे वाला बीच में छोड़ चला गया
हरी नमकीन की दुकान है ही नहीं
नेतराम की कचौडी अब मिलती नहीं
सुलाखी की बालूशाही है कहाँ
निरंजन में "हम दोनों" मिले थे कभी
जीरो रोड न जाने कहाँ गई
आनंद भवन के पास ही था स्वराज भवन
अल्फ्रेड पार्क भी मिलता नहीं
स्ट्रेची ब्रिज से ट्रेन अब जाती नहीं
हाइकोर्ट की बिल्डिंग भी दिखती नहीं
कहाँ जाऊँ मैं, मुझे कुछ अब पुराना मिलता नहीं ।
गंगा यमुना तो दिखी
सरस्वती फिर भी नहीं मिली
संगम हाँ वैसा ही है
हनुमान जी लेटे हुए मिले
पंडा पुजारी कुम्भ के मेले में दिखे।
सुमित्रा नंदन पंत, महादेवी वर्मा, हरिवंशराय बच्चन, फिराक साहब सब आकर चले गए
घर उनको अपने नहीं मिले
कह गए सब, अब न आएगें
यहाँ आएगें तो खो जाएगें
डर गए हैं बहुत सब, बुलाओगे
तो भी न वो अब आएगें।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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