जीवन भर तुमको सुना है
क्या अब तुम बात एक मेरी सुनोगे?
कहो प्रिये,
आज तुम और सिर्फ तुम बोलोगी
तुम्हारी मैं हर बात सुनूँगा !!
दूर चलो, यहाँ से
मन अब भर गया
चलते हैं, किसी ऐसी जगह
चित्त शांत जहां रहे
नदिया का किनारा हो
पर्वतों के पीछे से
निशा निमंत्रण लिए
चादँ हर रोज आता हो
छोटा सा घर हो
जो हमारा हो !!
जीवन की आपाधापी में
बहुत कुछ है खो दिया
खो जो दिया है
उसे हासिल दोबारा करें
जो भी अपने पास है
बचाखुचा उसमें ही अब जिएं !!
सात जन्म किसने हैं देखे
यह हैं सब किस्से कहानियों में
इस जन्म को भरपूर जियें
अबके बिछड़े,
पता नहीं फिर कब मिलें
.................... मिलें या न मिलें
जीवन उत्सव है, बस इसे ऐसे ही जियें !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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