Sunday, October 5, 2014

रात भर मुस्कुराऊँगा ।

कलम से_____

रात भर मुस्कुराऊँगा
महकूँगा
महकाऊँगा तुम्हारे आगंन को
भोर होते ही
मैं सोने चला जाऊँगा।

पारिजात
हारसिगांर के फूलों
के नाम से
मैं जाना जाता हूँ।

मिलना है तो रात को
आ जाना
सेज फूलों की
सजा के रखूँगा।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment