कलम से____
मन किया
सुबह होने के पहले ही
मील कुछ तय कर लूँ
मंजिल है दूर
थकने के पहले
कुछ कदम और मैं चल लूँ।
पेड़ मिलेगा कोई न कोई
नीचे बैठ थोड़ा सुस्ताऊँगा
हिम्मत जुटा फिर
मैं राह पर आ जाऊँगा।
धीरे धीरे हे सही
चलूँगा तो भी पहुंच जाऊँगा
राह में कोई मिलेगा
साथ में उसका पाऊँगा
मंजिल दूर हो जितनी
सूरज डूबने के पहले
पहुँच ही जाऊँगा।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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