कलम से____
अभी तो शाम हुई है
चलना है
मंजिल है दूर बहुत
लंबी है डगर
रात है आन पड़ी ।
जिन्दगी हिसाब
माँगती है
किरदार निभाने है
कई और अभी ।
आखिरी किरदार निभाना है बाकी,
निभा के पूछूँगा यारो
परदा गिरने पर
ताली बजेगी या नहीं ......
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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