कलम से_____
मेरी आदतों पर न जाना
मुस्कराते रहना मेरी आदत में शुमार है
गमगीन होने से क्या होगा
गम जो भी हैं सिर्फ मेरे अपने हैं।
मुस्कराते रहना मेरी आदत में शुमार है
गमगीन होने से क्या होगा
गम जो भी हैं सिर्फ मेरे अपने हैं।
लोग आएंगे साथ बैठेगें
खुशियों में शरीक़ भी होंगें
दाग़ दिल पर जो हैं
वो तुम्हारे अपने हैं
किसी ने यूँही मुफ्त में नहीं है दिए
खरीदे हैं, तुमने बाज़ार से अपने लिए।
खुशियों में शरीक़ भी होंगें
दाग़ दिल पर जो हैं
वो तुम्हारे अपने हैं
किसी ने यूँही मुफ्त में नहीं है दिए
खरीदे हैं, तुमने बाज़ार से अपने लिए।
गुमान था चाहा हैं मुझे लोगों ने बहुत
देर से पता लगा दिखावा था सब
अपने अपने मतलब के लिए।
देर से पता लगा दिखावा था सब
अपने अपने मतलब के लिए।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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