सुप्रभात मित्रों।
Good morning dear friends
10 04 2014
एक दिन मेले में चले क्या
आज का सूरज भी
मिस कर दिया
जालिम आखँ थी
खुलने का नाम ही न ले रही थी
नींद तकिये पर सर रख खूब आ रही थी
अब थकान आने लगी है
मन से न सही
जिन्दगी इसे महसूस करने लगी है
कब तक दूँगी साथ तेरा
वो मुझसे अब पूछने लगी है
चल तू चल साथ मेरे
मंजिल अभी मुझे ढूढंनी है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
Good morning dear friends
10 04 2014
एक दिन मेले में चले क्या
आज का सूरज भी
मिस कर दिया
जालिम आखँ थी
खुलने का नाम ही न ले रही थी
नींद तकिये पर सर रख खूब आ रही थी
अब थकान आने लगी है
मन से न सही
जिन्दगी इसे महसूस करने लगी है
कब तक दूँगी साथ तेरा
वो मुझसे अब पूछने लगी है
चल तू चल साथ मेरे
मंजिल अभी मुझे ढूढंनी है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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