कलम से_____
कल रात पूनम का चादँ
आसमां पर था
पर यामिनी मुझे नहीं दिखी
तारे फलक पर मुस्कुरा रहे होगें
पर मुझे ऐसा कुछ लगा नहीं
महसूस अब हो रहा है
भूल बहुत बड़ी हुई
अहसास होना चाहिए था
जो नहीं हुआ।
बेहतर होता गांव ही
चले जाते हर साल की तरह
वहाँ चादँ से और यामिनी से
मुलाकात हो जाती
फलक पर तारों से बात हो जाती
पल दो पल के लिए ही सही
जिन्दगी अपने नाम हो जाती।
इस शहर में मेरा सब खो गया
न मिला चादँ न सुकून ही मिला
जुगनू भी न जाने कहाँ खो गए
नकली रौशनी में गायब जो हो गए
फलक पर लाल पीली रौशनी दिखती रही
मेरी पूनों की रात इस तरह बरबाद होती गई।
ऐसी खता दुबारा न करेगें
जब चादँ से औ' यामिनी से मिलना होगा
हम अपने गांव ही चलेगें
प्रिये, हम अपने गांव ही चलेगें।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
कल रात पूनम का चादँ
आसमां पर था
पर यामिनी मुझे नहीं दिखी
तारे फलक पर मुस्कुरा रहे होगें
पर मुझे ऐसा कुछ लगा नहीं
महसूस अब हो रहा है
भूल बहुत बड़ी हुई
अहसास होना चाहिए था
जो नहीं हुआ।
बेहतर होता गांव ही
चले जाते हर साल की तरह
वहाँ चादँ से और यामिनी से
मुलाकात हो जाती
फलक पर तारों से बात हो जाती
पल दो पल के लिए ही सही
जिन्दगी अपने नाम हो जाती।
इस शहर में मेरा सब खो गया
न मिला चादँ न सुकून ही मिला
जुगनू भी न जाने कहाँ खो गए
नकली रौशनी में गायब जो हो गए
फलक पर लाल पीली रौशनी दिखती रही
मेरी पूनों की रात इस तरह बरबाद होती गई।
ऐसी खता दुबारा न करेगें
जब चादँ से औ' यामिनी से मिलना होगा
हम अपने गांव ही चलेगें
प्रिये, हम अपने गांव ही चलेगें।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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