Friday, October 10, 2014

ऐसा इसमें क्या है जो इस बेकरारी से इतंजार करते हो।

कलम से____


ऐसा इसमें क्या है
जो इस बेकरारी से इतंजार करते हो
थोड़ा लेट क्या हो जाता है
परेशान से हो जाते हो
इतने परेशान तो पहले कभी नहीं होते थे ।

हाँ,
मैं जब लेट हो जाती थी
तब तुम
इधर से उधर और उधर से इधर
टहला करते थे
जैसे अब टहला करते हो।

सुनके बात मेरी खड़े हो गए
अखबार हाथों में था
सीने से लगा लिया
कहा धीरे से
आज भी
दिल मेरा तुम्हारे लिए धड़कता है
इसमें दूसरा न कोई बसता है ।

छोड़ो भी,
छोड़ो चाय लाई हूँ,
चाय पियो ठंडी न हो जाय
चश्मा आँखों पर चढ़ा
फिर वो खो गए
अखबार में............


//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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