Thursday, October 2, 2014

विजय रथ पर हो सवार।

कलम से____


विजय रथ पर हो सवार
   धर्म गुरु वेदों का ज्ञाता है
       देव अस्त्रों से सुसज्जित
            दशानन अपने पूरे रंग में है ।।

रघुवर लखन विभीषण
   वानर सेना भी सजग है
      हनुमान अंगद सभी वीर
          रणभेरी प्रतीक्षा में हैं ।।

भीषण युद्ध की है तैयारी
    वीरों की सेना साथ है भारी
       चक्रव्यूह की है पूरी तैयारी
           दिखथी है न कोई लाचारी ।।

भन ही भन मुस्कुरा रहे रघुराई
   दशानन अंत से मिटे आताताई
      संकल्प साध राम आज आये हैं
         खेल समाप्त कर विजयी होने आये हैं ।।


विजयादशमी का त्योहार आपके जीवन को एक नया रंग भर दे यही मगंल मनोकामना है।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/




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