कलम से_____
------बगल से गुजर रहा था
धीरे से पुकारा और कहने लगा,
एक फूल ।
एक रोज़ भर की ही है, जिन्दगी मेरी
शाख से गिर मिट्टी में मिल जाऊँगा....
कद्रदान आज कोई नहीं आएगा
मन्दिरों में भीड़ कम जो हो गई है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
------बगल से गुजर रहा था
धीरे से पुकारा और कहने लगा,
एक फूल ।
एक रोज़ भर की ही है, जिन्दगी मेरी
शाख से गिर मिट्टी में मिल जाऊँगा....
कद्रदान आज कोई नहीं आएगा
मन्दिरों में भीड़ कम जो हो गई है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment