कविता,
का जीवन काल कम हो गया
चौबीस घंटे
या
अधिक से अधिक
छत्तीस घंटे
मात्र रह गया।
फेसबुक
ने यह काम कर दिया
एक बार कविता पढ़ क्या ली
लाइक कर दी
या
विवेचना लिख दी
बस फिर वो
पुरानी हो गई
खत्म हो गई
डाटाबेस के काबिल रह गई।
फिर नई का
इतंजार रहता है
नई नई के लिए
चाहनेवालों का
दिल बेकरार रहता है
नई आते ही
पुरानी सी लगने लगती है
चलन अब यही हो गया
फेसबुक के मित्रों के
नजरों में चढ़ने के पहले ही
कविता,
पुरानी पड़ उतर जाती है।।
खुशी इतनी है
कविता,
हिंदी में होती है
हिंदी को पापुलर कर गई है
हिंदी की सेवा कर गई है ।।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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