कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Saturday, October 11, 2014
कौन है, जिस पर निगाह मेरी आकर यूँ रुक गई
पुरानी सी एक बात ख्वाब न जाने कितने जगा गई !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह//
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment