कलम से____
कल हम हुए न हुए
कुछ पता नहीं
इतना पता जरूर है
उनको हमसे गिला नहीं,
सिमटी हुई यादों को सभांल कर बैठे हैं
एक पोटरी में गाँठ बांध कर,
जो लम्हे कुछ मिले हैं हमें,
आ गुजार लें हँस कर या रो कर,
जाने कल फैसला क्या हो जिन्दगी का,
क्या करेंगे इन हालात में जानकर !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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