कलम से____
खालीपन सा जब
लगता है
तब मैं अक्सर
घर की खिड़की
पर आ जाती हूँ
हर आने जाने वाले
को बड़े ध्यान से
देखा करतीं हूँ
चलने के अंदाज
बयां कर देते हैं
कौन कितना
खुश है या गमगीन।
खुशी और गम
बांटने का
का यह अंदाज भी
निराला है।
स
तेरे साथ हैं हम
और तुझे पता भी नहीं।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
खालीपन सा जब
लगता है
तब मैं अक्सर
घर की खिड़की
पर आ जाती हूँ
हर आने जाने वाले
को बड़े ध्यान से
देखा करतीं हूँ
चलने के अंदाज
बयां कर देते हैं
कौन कितना
खुश है या गमगीन।
खुशी और गम
बांटने का
का यह अंदाज भी
निराला है।
स
तेरे साथ हैं हम
और तुझे पता भी नहीं।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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