कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Saturday, October 11, 2014
कलम से____
फलक से उतर सब मिलने नीचे आ गए
करती रही मैं इतंजार, बस एक तुम नहीं आए !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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