कलम से____
अब शाम हो चली
आकाश पर बादल घिर आए हैं
बारिश तगड़ी होगी
ऐसा अंदेशा बना हुआ है
आशा है दिन
आपका अच्छा रहा होगा
शाम भी अच्छी हो
यह अभिलाषा है।
मौसम की पुकार
पर बहक न जाना
सीधे अपने घर जाना
घर में इतंजार करता है कोई
यह अपने मन धरना।
सोम ठाकुर की कविता
अपने मन में गुनगुनाना
" जाओ पर संध्या संग लौट आना....."
बस इतना ही था
मुझे कहना।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
अब शाम हो चली
आकाश पर बादल घिर आए हैं
बारिश तगड़ी होगी
ऐसा अंदेशा बना हुआ है
आशा है दिन
आपका अच्छा रहा होगा
शाम भी अच्छी हो
यह अभिलाषा है।
मौसम की पुकार
पर बहक न जाना
सीधे अपने घर जाना
घर में इतंजार करता है कोई
यह अपने मन धरना।
सोम ठाकुर की कविता
अपने मन में गुनगुनाना
" जाओ पर संध्या संग लौट आना....."
बस इतना ही था
मुझे कहना।
//surendrapal singh//
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