कलम से____
रात गेशू खोल तुमने गुनाह क्यों किया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!
मोंगरे की खुशबू ओढ़ तुम सामने आ गईं
बिंदिंया का रंग बदल मुझे मदहोश क्यों किया
रूप तुम्हारा लाल साड़ी में उभरता बहुत है
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!
आँखों में काजल तुम्हारी फबता बहुत है
शाम को कातिल बना इल्जाम क्यों लिया
रौशनी को बुझा मुझे आमंत्रण क्यों दिया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
रात गेशू खोल तुमने गुनाह क्यों किया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!
मोंगरे की खुशबू ओढ़ तुम सामने आ गईं
बिंदिंया का रंग बदल मुझे मदहोश क्यों किया
रूप तुम्हारा लाल साड़ी में उभरता बहुत है
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!
आँखों में काजल तुम्हारी फबता बहुत है
शाम को कातिल बना इल्जाम क्यों लिया
रौशनी को बुझा मुझे आमंत्रण क्यों दिया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!
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