कलम से____
मनुवा
कभी बैठ सागर किनारे
होजा तल्लीन सुदंर नज़ारों में
मन भीतर की आग को
छींट दे योग के जल से !!
मन आज चल बैठ सागर किनारे !!
//सुरेन्द्रपालसिंह//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
मनुवा
कभी बैठ सागर किनारे
होजा तल्लीन सुदंर नज़ारों में
मन भीतर की आग को
छींट दे योग के जल से !!
मन आज चल बैठ सागर किनारे !!
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