कलम से____
सोते सोते में भी ख्वाब में सीढ़ी चढ़ने लगता हूँ
तारों से भरी टोकरी तुझे देने को आने लगता हूँ
बहुत है मुझे तुझसे प्यार मेरी माँ
दिन रात मैं तेरे ही सपने बुनता रहता हूँ।
//सुरेन्द्रपालसिंह//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
सोते सोते में भी ख्वाब में सीढ़ी चढ़ने लगता हूँ
तारों से भरी टोकरी तुझे देने को आने लगता हूँ
बहुत है मुझे तुझसे प्यार मेरी माँ
दिन रात मैं तेरे ही सपने बुनता रहता हूँ।
//सुरेन्द्रपालसिंह//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment