कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Friday, September 12, 2014
नज़ारे और भी हैं
कलम से____
नज़ारे और भी हैं जो मन को लुभाएगें
खुदा को हम शायद यहाँ न पाएगें !!!
(एक गरीब बन्दे की अर्जी)
//surendrapalsingh//
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