सुप्रभात मित्रों।
Good morning dear friends.
09 19 2014
भय कैसा
भय अपने से
भय लगता जब
भय भीतर है समाता
या भय होता अपना कुछ खोने का
जब खोने के लिए
होगा न कुछ
तो भय काहे का
और भय किसका !!!
देने वाला वही
लेने वाला भी वही
तो फिर भय काहे का !!!
मय पीकर भय भगाते हैं कुछ लोग
सही मायने पकड़े जाते ऐसे लोग !!!
पीकर है भूलना तो भूल जाओ स्वयं को
लगा है मन प्रभु चरणों में तो भय काहे का !!!
भयमुक्त होना भी एक मानसिक प्रक्रिया है जो भयमुक्त हो गया जग उसने जीता है।
धन्यवाद ।
Good morning dear friends.
09 19 2014
भय कैसा
भय अपने से
भय लगता जब
भय भीतर है समाता
या भय होता अपना कुछ खोने का
जब खोने के लिए
होगा न कुछ
तो भय काहे का
और भय किसका !!!
देने वाला वही
लेने वाला भी वही
तो फिर भय काहे का !!!
मय पीकर भय भगाते हैं कुछ लोग
सही मायने पकड़े जाते ऐसे लोग !!!
पीकर है भूलना तो भूल जाओ स्वयं को
लगा है मन प्रभु चरणों में तो भय काहे का !!!
भयमुक्त होना भी एक मानसिक प्रक्रिया है जो भयमुक्त हो गया जग उसने जीता है।
धन्यवाद ।
No comments:
Post a Comment