कलम से____
रात भर जाग कर
पहरा देता हूँ
हर अनजाने को
इस गली में
आने से रोकता हूँ।
अब तो सो लेने दे यार
पल दो पल नीदं चैन की मुछे
हक मेरा भी ख्वाबों पर
अपना खाली अख्तियार न समझ......
( निरीह जानवरों पर दया भाव दिखलाएं। पत्थर से न मारें इन्हें। धन्यवाद)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
रात भर जाग कर
पहरा देता हूँ
हर अनजाने को
इस गली में
आने से रोकता हूँ।
अब तो सो लेने दे यार
पल दो पल नीदं चैन की मुछे
हक मेरा भी ख्वाबों पर
अपना खाली अख्तियार न समझ......
( निरीह जानवरों पर दया भाव दिखलाएं। पत्थर से न मारें इन्हें। धन्यवाद)
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