Tuesday, September 16, 2014

मैं नींद में सोया हुआ था ।

कलम से____

मैं नींद में सोया हुआ था
मोबाइल की घंटी ने जगा दिया
एक मेरे मित्र ने मुझे सोते से उठा दिया।

पूछ बैठा मैं उनसे
क्या हुआ
दिखते नहीं हो आजकल।

वायरल हो गया
एक बार नहीं
दो दो बार सता गया
हड्डी पसलियों को दर्द दे गया।

मौसम बदल रहा है
रंग आसमां में नित नये
आ रहे हैं
पुष्प की सुगंध से बाग महकने लगा है
परिवासी पंक्षी भी लौट रहे हैं
ऐसे में ख्याल रखा करो
दिल को बचाना
देखना यह सुहाना मौसम ही
कहीं कुछ खेल न खेले
कविता करते कराते
खुद से न रूठे।

आ जाया करो
मिल बैठ कुछ कह लेगें
दर्द अपने आपस में शेयर कर लेगें।

कहने लगे
जब उधर निकलूँगा
मिलूँगा जरूर
वेैसे भी तो हम अन्जान हैं
फेसबुक के अलावा
मिले ही कहाँ हैं।

धन्य हो फेसबुक
कितने हसीन लोग मिले हैं
अपने ही अपनों से दूर
बहुत दूर हुये हैं।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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