कलम से_____
हर दिन को
विभाजित किया है
अष्ट प्रहर में
हर प्रहर की
भूमिका है निराली
अगर इसे अपनाएगा
जीवन सुखमय हो जाएगा
कर्म प्रधान ध्येय तेरा बन जाएगा
सुखी होगा तू औ' तेरा जीवन स्वतः सुंदर हो जाएगा।
करना है क्या, सुनले तू अब:-
दिन के चार प्रहरों को इस तरह जाना जाता है- पूर्वाद्ध, मध्याह्न्, अपराह्न् और सायं, जबकि रात के चार पहर को कहते हैं- प्रदोष, निशीथ, त्रियामा और उषा।
पूर्वार्ध : प्रातः काल के निस्वार्थ भावना से निहित कार्य।
मध्याह्न्, : जन भावना से जुड़े जीवन यापन सम्बंधी कार्य।
अपराह्न् : उपरोक्त वर्णित कार्य ।
सायं : जीवन से जुड़े कार्य समाप्ति पर घर को वापिसी और पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वहन।
प्रदोष : सांसारिक सुख दुःख का आकंलन करना। जीवन में आवश्यक बदलाव लाना इत्यादि।
निशीथ : शैय्या विश्राम।
त्रियामा : उपरोक्त कार्य अर्थात गहरी नींद सोना।
उषा : प्रातः उठना । नित्यकर्म के पश्चात ईश वन्दना तथा पारिवारिक जीवन में रस घोलना।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
हर दिन को
विभाजित किया है
अष्ट प्रहर में
हर प्रहर की
भूमिका है निराली
अगर इसे अपनाएगा
जीवन सुखमय हो जाएगा
कर्म प्रधान ध्येय तेरा बन जाएगा
सुखी होगा तू औ' तेरा जीवन स्वतः सुंदर हो जाएगा।
करना है क्या, सुनले तू अब:-
दिन के चार प्रहरों को इस तरह जाना जाता है- पूर्वाद्ध, मध्याह्न्, अपराह्न् और सायं, जबकि रात के चार पहर को कहते हैं- प्रदोष, निशीथ, त्रियामा और उषा।
पूर्वार्ध : प्रातः काल के निस्वार्थ भावना से निहित कार्य।
मध्याह्न्, : जन भावना से जुड़े जीवन यापन सम्बंधी कार्य।
अपराह्न् : उपरोक्त वर्णित कार्य ।
सायं : जीवन से जुड़े कार्य समाप्ति पर घर को वापिसी और पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वहन।
प्रदोष : सांसारिक सुख दुःख का आकंलन करना। जीवन में आवश्यक बदलाव लाना इत्यादि।
निशीथ : शैय्या विश्राम।
त्रियामा : उपरोक्त कार्य अर्थात गहरी नींद सोना।
उषा : प्रातः उठना । नित्यकर्म के पश्चात ईश वन्दना तथा पारिवारिक जीवन में रस घोलना।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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