कलम से____
शाम का धुंधलका होने लगा है
मेरा दिल फिर बहकने लगा है !!
बैठ आगंन में इतंजार मेरा कोई कर रहा है
अहसास इसका मुझे हो चला है !!
मै हूँ मज़बूर अपने हालात से
मन तुमसे मिलने को बहुत कर रहा है !!
नैट आफिस का खराब हुआ पड़ा है
न जाने कब ठीक होगा सारा प्रोग्राम रुका पड़ा है !!
अपडेट्स हैड आफिस को देने पड़े हैैं
कम्बख्त यह काम यूँ ही पड़ा है !!
कैसे आऊँ घर आज समझ मेरे कुछ नहीं आ रहा है
इतंजार कर लो कहूँगा बस इतना इतंजार में भी अपना मज़ा है !!
//सुरेन्द्रपालसिंह//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
शाम का धुंधलका होने लगा है
मेरा दिल फिर बहकने लगा है !!
बैठ आगंन में इतंजार मेरा कोई कर रहा है
अहसास इसका मुझे हो चला है !!
मै हूँ मज़बूर अपने हालात से
मन तुमसे मिलने को बहुत कर रहा है !!
नैट आफिस का खराब हुआ पड़ा है
न जाने कब ठीक होगा सारा प्रोग्राम रुका पड़ा है !!
अपडेट्स हैड आफिस को देने पड़े हैैं
कम्बख्त यह काम यूँ ही पड़ा है !!
कैसे आऊँ घर आज समझ मेरे कुछ नहीं आ रहा है
इतंजार कर लो कहूँगा बस इतना इतंजार में भी अपना मज़ा है !!
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