कलम से____
हे माँ मझे दे वरदान
मैं तुझसे हूँ यह माँगता
खड़ा रहूँ मै यूँही सदा
पुकारे तू मुझे जब सदा ।।
हे माँ तू है मेरा आदर्श
तेरा नित दिन गाऊँ उत्कर्ष
कभी मुझे न होने दे निश्चिंत
रात्रि भर जाग कर तेरा वदंन ।।
हे माँ तू ही है सर्वश्व
बना रहे तेरा बर्चस्व
भक्त तेरे आते यहाँ आते रहें
गुणगान तेरा हृदय से करते रहें।।
हे माँ ऐसा दे वरदान
जग में तेरा ही हो नाम
घर घर में आश्रय हो तेरा
आशीर्वाद बना रहे सदा तेरा।।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
हे माँ मझे दे वरदान
मैं तुझसे हूँ यह माँगता
खड़ा रहूँ मै यूँही सदा
पुकारे तू मुझे जब सदा ।।
हे माँ तू है मेरा आदर्श
तेरा नित दिन गाऊँ उत्कर्ष
कभी मुझे न होने दे निश्चिंत
रात्रि भर जाग कर तेरा वदंन ।।
हे माँ तू ही है सर्वश्व
बना रहे तेरा बर्चस्व
भक्त तेरे आते यहाँ आते रहें
गुणगान तेरा हृदय से करते रहें।।
हे माँ ऐसा दे वरदान
जग में तेरा ही हो नाम
घर घर में आश्रय हो तेरा
आशीर्वाद बना रहे सदा तेरा।।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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