Thursday, September 18, 2014

दिल की धड़कन को दिल ही समझता है ।

कलम से____

दिल की धडकनों को दिल ही समझता है,
हम बेखबर थे तुम भी नादान थे,
हम लोगों के दरम्यान कुछ हुआ ही नहीं था
शोर ज़माने में न जाने क्यों मचा हुआ था।

एक अफसाना जो न शुरू हुआ
और हुआ न खत्म,
दुनियां समझती रही
मुझे तेरा हमदम।

वह दिन अजीब थे
दूर से देख कर हम खुश हो लिया करते थे
उनके नजर के इशारे भी न हम समझते थे
ऐसे ऐसे बुद्धू उस वक्त हुआ करते थे।

जब याद करते हैं
हँसी आती है औ' कभी आँख दुख जाती है
कहानी बचपन की याद बहत आती है।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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