Monday, September 1, 2014

सूरज फिर उग आया है ।

कलम से____

सूरज फिर उग आया है
जग को छवि अपनी दिखलाई है
आस जगी है फिर मन में
सुंदर बहार छाई है !

कहीं कहीं धूप जाती
कहीं जाती उसकी परछाईं है
जीवन में प्रकाश फैले सबके
ऐसी आस प्रभु मैंने तुझसे लगाई है !!

दूर आपको जो दिखता है
वह निर्माण भवन हैै
लाइट से नहीं
सूरज की परछाईं से जागृत है !!!

मित्रों यह आज प्रातः का प्रीत विहार का विहंगम दृश्य है।

आज का दिन आपके जीवन है मंगलकारी हो यही कामना है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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